श्रेष्ठ है पर सर्वश्रेष्ठ नहीं।
श्रेष्ठ है पर सर्वश्रेष्ठ नहीं। यह कहना गलत नहीं होगा अभी के मोदी सेना के बारे में। सेनानायक पराक्रमी है , इसमें तो कोई दोमत नहीं है, न ही कोई शंसय है। धनु के लिए तो तरकस में विकास के अच्छे अच्छे बाण भी दिखाई दे रहे हैं। सेना सज्जित तो है पर सुसज्जित नहीं। दुर्ग में कही न कही छिद्र तो अवस्य है।
अमित शाह , येदुरप्पा और साबिर अली इन्ही में से कुछ एक हैं। जसवंत सिंह वाला हिस्सा हो या संघ से मिलने वाले दबाव । ये सब के सब बीजेपी की छवि को धूमिल ही कर रही है।
क्या बीजेपी इन सब चीजो पर अमल नही कर सकती या करना नहीं चाहती ? काश कर पाती !! कितना प्रांजल और पुनीत हो जाता न ये चुनावी समर। ये बात भी सत्य है की नकेल कसने से बीजेपी जितने लोगो का दिल जीत पाती उससे कई गुना ज्यादा दुखी होते। दरार तो पड़ना निश्चित था। दरार पड़ जाती तो लोगो के सुनहरे सपनो का क्या होता ??
चलो एक बारगी मान लेते हैं की बीजेपी ने ऐसा कर दिया जो की अवस्य एक आदर्श परिदृश्य ही होगी , दरार जरूर पैदा होता , कांग्रेस की सरकार तो आने से रही , और आप का बहुमत में आना सम्भावना से भी परे की बात है। तो फिर बाजी कौन मार ले जाता ?? पक्की बात है तीसरे मोर्चे की सरकार।
क्या सच में ?? बस अमित शाह और येदुरप्पा को दूर करने से मुलायम सिंह जी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे ?? !! आजम खान गृह मंत्री होंगे , राजा भैया को रक्षा विभाग दिया जायेगा ? ए राजा वित्त मंत्री होंगे !! ना ना क्या होगा इस देश का अगर ऐसा हो गया तो ?? इससे तो अच्छा है बीजेपी की ही सरकार आये।
भारतीय राजनीती का आदर्श काल आने में अभी समय है ,अभी तो फिलहाल मोदी सरकार ही एक रास्ता दिखाई दे रहा है , दीपक की तरह टिमटिमाता ही सही प्रकाश पूँज तो है। आकाश में सूरज के उदय होने में अभी समय है। तब तक के लिए एकजुट होकर मोदी को वोट देने में ही भलाई है। आशा है की सत्ता में आने के बाद येदुरप्पा जैसे परिंदो का पर कतरा जाता रहेगा। और हाँ अभी जरुरत है एक दो और अरविन्द और अन्ना आंदोलन की जो इस पटल के साफ होने में उत्प्रेरक का काम कर रही है।